मंगलवार, 30 अगस्त 2011

शिक्षकों के लगभग 96 हजार पद स्वीकृत

शिक्षकों के लगभग 96 हजार पद स्वीकृत (मंत्रि-परिषद के निर्णय)
201 विकास-खण्डों में बालिका छात्रावासों की स्थापना, दो हजार स्कूलों में कम्प्यूटर लैब मंजूर
भोपाल 24 अगस्त 2011। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और इसके लोक-व्यापीकरण के प्रयासों को और गति प्रदान करते हुए, मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद की बैठक में शिक्षकों के 95 हजार 599 पद स्वीकृत किये गये। इस निर्णय से 742 करोड़ 57 लाख रूपये का व्यय भार आयेगा।
जिन शिक्षकों के पद स्वीकृत किये गये हैं उनमें 31 हजार 599 सहायक अध्यापक, 6,383 प्रधानाध्यापक (प्राथमिक शाला), 26 हजार 26 अध्यापक, 5, 547 प्रधानाध्यापक(माध्यमिक शाला), 13 हजार 22 अंशकालीन अनुदेशक (स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा ) और 13 हजार 22 पद अंशकालिक अनुदेशक(कला शिक्षा) शामिल है।
मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि जब तक इन पदों की पूर्ति निर्धारित प्रक्रिया के तहत नहीं हो जाती, तब तक इन पदों के विरुद्ध अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर शालाओं में अध्यापक की व्यवस्था की जाये।
201 विकास खण्डों में बालिका छात्रावास
मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 201 विकास खण्डों में बालिका छात्रावासों की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की। इससे दूरदराज की बालिकाओं को छात्रावास में रह कर अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में मदद मिलेगी। ये छात्रावास 100 सीट वाले होंगे और प्रत्येक छात्रावास पर प्रति वर्ष 15 लाख 56 हजार रूपये का व्यय होगा। कक्षा से 9 से 12 तक की बालिकाओं के लिये स्थापित किये जाने वाले इन छात्रावासों में सभी वर्गों की छात्राएँ रह सकेंगी। इन विकास खण्डों में प्रदेश के सभी आदिवासी विकास खण्ड शामिल हैं। ये छात्रावास उन बालिकाओं के लिये होंगे, जिनके गाँव में अथवा समुचित दूरी पर शिक्षा सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
दो हजार स्कूलों में आधुनिक कम्प्यूटर लैब
मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के 2000 शासकीय हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों में
ICT@School योजना के तहत आधुनिक कम्प्यूटर लैब की स्थापना का निर्णय लिया। इनके माध्यम से विद्यार्थियों को कम्प्यूटर समर्थित शिक्षा प्रदान की जायेगी। लैब की स्थापना जन-निजी भागीदारी के माध्यम से की जायेगी, जिसमें 40 प्रतिशत निवेश सरकार का और 60 प्रतिशत निवेश निजी क्षेत्र का होगा। निजी निवेशक को स्कूल समय के बाद लैब का व्यवसायिक उपयोग करने की सुविधा रहेगी। निजी निवेशक पर पाँच वर्ष तक इनके संधारण का दायित्व भी होगा। प्रत्येक स्कूल में 95 कम्प्यूटर होंगे।
बजट मेन्युअल का अनुमोदन
मंत्रि-परिषद ने ज्यादा सटीक बजट सुनिश्चित करने की दृष्टि से बनाये गये मध्यप्रदेश बजट मेन्युअल का अनुमोदन किया। इससे राज्य के अधिकारी अधिक दक्षता से वित्तीय और व्यय प्रबंधन कर सकेंगे और राज्य के संसाधनों का जनहित में अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा। इसके लिये प्रत्येक स्तर की बजट चक्र से संबंधित जानकारी तथा वित्तीय प्रबंधन से संबंधित विभिन्न प्रपत्रों और निर्देशों को एक मेन्युअल में संकलित कर जारी किया जा रहा है। अभी तक बजट मेन्युअल केवल केन्द्र सरकार तथा कुछ राज्यों द्वारा ही जारी किया गया है। बजट मेन्युअल में बजट प्रक्रिया, नगदी प्रबंधन, राजस्व प्रबंधन, व्यय प्रबंधन, ऋण प्रबंधन, राजकोषीय उत्तरदायित्व, लेखा परीक्षा एवं लोक लेखा समिति से संबंधित विषयों को भी सम्मिलित किया गया है।
इस मेन्युअल से जहाँ बजट अनुमान ज्यादा सटीक होंगे, वहीं बजट संबंधी विभिन्न कार्रवाइयों में भी एकरूपता बनाये रखते हुए त्वरित निर्णय लिए जा सकेंगे। क्षेत्रीय स्तर पर बजट प्रक्रिया का ज्ञान न होने के फलस्वरूप हो रहे अनावश्यक पत्र व्यवहार में कमी आएगी।
मंत्रि-परिषद ने 13 वें वित्त आयोग की अनुशंसानुसार महात्मा गाँधी स्मृत्ति चिकित्सा महाविद्यालय, इंदौर से सम्बद्ध महाराजा तुकोजीराव चिकित्सालय, इंदौर का उन्नयन करने के लिये 168 नवीन पदों के सृजन,उपकरण क्रय तथा निर्माण कार्यों के लिये 22 करोड़ रूपये की कार्ययोजना मंजूर की । वित्तीय वर्ष 2011-12 के बजट में इस कार्य के लिये 5 करोड़ 50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है।

मध्यप्रदेश ने हासिल की 9 प्रतिशत आर्थिक विकास दर

मध्यप्रदेश ने हासिल की 9 प्रतिशत आर्थिक विकास दर

पाले से हुए नुकसान के बावजूद बड़ी उपलब्धि, बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने को तैयार मध्यप्रदेश
भोपाल 28 अगस्त 2011। बीते छह-सात वर्षों में विकास के लिये कटिबद्ध प्रयासों के फलस्वरूप मध्यप्रदेश अब एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आने लगा है। अमेरिकी फर्म डन ब्रेडस्ट्रीट की रिपोर्ट ??भारत 2020?? के अनुसार भारत की प्रगति में मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान होगा। वर्ष 2007 में इंदौर में सम्पन्न ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में भी देश के अग्रणी उद्योगपति श्री अनिल अंबानी ने कहा था कि अपनी प्रचुर प्राकृतिक संपदा, देश के मध्य में स्थित होने तथा सरकार द्वारा किये जा रहे ठोस प्रयासों के चलते मध्यप्रदेश को देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार रहना चाहिये।
इन दोनों बातों की पुष्टि इस बात से होती है कि बीते छह-सात वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास दर में लगातार वृद्धि हासिल की है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश की विकास दर (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) महज तीन प्रतिशत थी। भारत शासन द्वारा निर्धारित पद्धति से, निर्धारित विधि से किये गये प्राकलन के अनुसार वर्ष 2010-11 में इसकी आर्थिक विकास दर 9 प्रतिशत आँकी गयी है। यह उपलब्धि इस अर्थ में और महत्वपूर्ण हो जाती है कि वर्ष 2010-11 में प्रदेश में 26 प्रतिशत कम वर्षा हुई और जनवरी में पाला पड़ने से अरहर, चना और अलसी की फसलों को भारी नुकसान हुआ। इसके पहले, वर्ष 2009-10 में मध्यप्रदेश में 35 प्रतिशत कम वर्षा होने के बावजूद आर्थिक विकास दर 9.55 प्रतिशत हासिल की गयी थी।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष चने की फसल के क्षेत्रफल में 3.3 प्रतिशत वृद्धि होने पर भी उत्पादन में 16.6 प्रतिशत की कमी आयी। अरहर के क्षेत्रफल में 48.3 प्रतिशत वृद्धि के बाद भी उत्पादन में 36.1 प्रतिशत कमी आयी। इसी तरह, अलसी का क्षेत्रफल 16.4 प्रतिशत बढ़ा, फिर भी उत्पादन में 13.2 प्रतिशत कमी आयी। यह पाले का दुष्परिणाम रहा।
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2009-10 में कृषि विकास दर 7.2 प्रतिशत रही। जबकि राष्ट्रीय कृषि विकास दर नाम मात्र की रही। इस दौरान प्रदेश में औद्योगिक विकास दर 10.1 प्रतिशत रही। अन्य ऊँची विकास दर वृद्धि वाले बड़े प्रदेशों की तुलना में वर्ष 2009-10 में आर्थिक विकास दर के मामले में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर तथा 2010-11 में बिहार और छत्तीसगढ़ के बाद प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा।
गरीबी के आकलन के लिये अखिल भारतीय स्तर पर किये गये सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का प्रति व्यक्ति उपभोग ग्रामीण क्षेत्र में पाँच बड़े राज्यों से अधिक है। इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड शामिल हैं। शहरी क्षेत्र में मध्यप्रदेश का प्रति व्यक्ति उपभोग 6 राज्यों से अधिक है, जिनमें उक्त 5 राज्यों के अलावा राजस्थान शामिल है।

क्‍या आप जानते हैं

क्‍या आप जानते हैं
तथ्‍य सारणी
· वर्ष 2011 के अंत में विश्‍व की जनसंख्‍या 7 अरब तक पहुंच जाएगी । (यह संख्‍या 50 वर्ष पहले रहने वाले लोगों की संख्‍या के दोगुने से भी अधि‍क है) इनमें से लगभग आधी आबादी महि‍लाओं और लड़कि‍यों की है । · एक अरब 1.2 अरब लोग गरीबी में जीवन व्‍यतीत कर रहे हैं । इनमें से 70 प्रति‍शत आबादी महि‍लाओं और बच्‍चों की है ।
· एक अरब से भी अधि‍क वयस्‍क नि‍रक्षर हैं, जि‍नमें 66 प्रति‍शत आबादी महि‍लाओं की है ।
· 2 करोड़ 70 लाख शरणार्थी हैं, जि‍नमें 80 प्रति‍शत संख्‍या महि‍लाओं और बच्‍चों की है ।
प्रत्‍येक दि‍न ........
· हममें से एक अरब लोग भूखे सोते हैं ।
· हममें से 2 अरब लोग प्रति‍दि‍न एक डॉलर से भी कम राशि‍पर जीवन व्‍यतीत कर रहे हैं ।
· हममें से एक अरब लोग को स्‍वच्‍छ जल उपलब्‍ध नहीं है ।
· गर्भावस्‍था या प्रसव के दौरान एक हजार से भी अधि‍क महि‍लाओं की मृत्‍यु हो जाती है ।
एक अकेला व्‍यक्‍ति‍नि‍म्‍नलि‍खि‍त कार्य कर सकता है ....
· एक बच्‍चे को पढ़ना सि‍खा सकता है ।
· एक पेड़ लगा सकता है ।
· एक वरि‍ष्‍ठ नागरि‍क से मि‍ल सकता है ।
· एक समाधान खोज सकता है ।
· दूसरों की मदद के लि‍ए खड़ा हो सकता है ।
· कि‍सी के चेहरे पर मुस्‍कराहट ला सकता है ।
स्रोत : संयुक्‍त राष्‍ट्र

रविवार, 28 अगस्त 2011

परीक्षा के समय कैसे तनाव से बचे ! कम समय में ज्यादा तैयारी कैसे करे .

अक्सर हम परीक्षा के समय अत्यधिक तनाव का शिकार हो जाते है ।
हमें परीक्षा के बारे में सोचकर ही डर लगने लगता है ।
हम जब पढने बैठते है तो कई तरह के सवाल दिमाग में घूमने लगते है ! और हम जो पढ़ते है वो दिमाग में बैठता ही नही ।
अधिकांश प्रतियोगी एक्साम्फोबिया का शिकार हो जाते है।
अब समस्या कहाँ आती है ?
समस्या हमारी सोच और हमरे पढने के तरीके में है !
हमारी सोच ये होती है , कि हमने कितना सिलेबस तैयार कर लिया है ? और कितना बाकी है ?
हम पुराने प्रश्न पत्रों को देखते है , जब हम से कई प्रश्न नही बनते तो हम और तनावग्रस्त हो जाते ।

अब अगर अपनी सोच में थोड़ा सा सकारात्मक परिवर्तन लाये तो हम कई तरह कि समस्यायों से बच सकते है ।
१- पहली बात कि कभी भी कोई टोपिक पूरा पढ़े बिना पुराने प्रश्नपत्र नही देखे , क्योंकि हमने टोपिक पूरा पढ़ा ही नही और जब प्रश्न पढेंगे तो वो बनेंगे ही नही , इससे तनाव पैदा होगा।
२-दूसरी बात कभी भी पढने बैठे तो एक व्यवस्थित तरीके से पढ़े ताकि आपको ये पता हो कि आपने कितना पढ़ा और कितना पढना है । क्रम से पढने पर विषय में क्रमबद्धता बनी रहती है । और तथ्य जल्दी समझ में आते है ।
३- अक्सर हम तथ्यों को रटने पर जोर देते है , जो कि गलत तरीका है , क्योंकि अगर प्रश्न को परीक्षा में थोडा भी घुमाया जाता है तो आपसे प्रश्न नही बनेगा । रटने में एक समस्या ये भी होती है , कि अगर जब तथ्य कि शुरुआत का कोई शब्द हमें यद् नही आता तो पूरा का पूरा तथ्य ही हमें याद नही र्रहता । रटने कि जगह अगर हम तथ्यों को समझ के पढ़े तो वो न केवल हमें याद रहेंगे वल्कि प्रश्न कितना कठिन आ जाये हम उसका सही जवाब देकर आएंगे ।
४- कभी भी लगातार न पढ़े , क्योंकि लगातार पढने से धीरे धीरे हमारी क्षमता कम होती रहती है , और २ -३ घंटे के बाद हमारा पढाई से मन उचट जाता है । इसके लिए पढ़ते समय हर घंटे -आधा घंटे में एक छोटा सा ब्रेक ले कर पढ़ सकते है । इससे हमारे दिमाग को आराम भी मिलता है और हम फिर से नयी ऊर्जा के साथ आगे पढ़ सकते है ।
५- कभी भी पुरे सिलेबस को कवर करने के चक्कर में न रहे बल्कि जितना भी पढ़े अच्छी तरह से पढ़े । क्योंकि हो सकता है कि हम सिलेबस पूरा कवर भी कर ले मगर बहुत तेजी से सिलेबस करने के चक्कर में उसे सही तरीके से याद नही रख पाते है। और परीक्षा में प्रश्न पढ़ते समय भ्रम रहता है ।
६- सबसे महत्वपूर्ण बात है . तब तक पढाई करे जब तक आपका पढने में मन लगता है। जबरदस्ती कभी भी पढाई न करे ।

इस तरह कि और भी कई परेशानियां है जो पढाई के समय आती है , अगर आप को भी ऐसी किसी प्रकार कि परेशानी है तो हमें ख़ुशी होगी आपकी परेशानी का हल ढूँढने में ।
आप अपनी समस्याए और प्रश्न नीची टिप्पणी वाले लिंक में लिख सकते है ।

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

सभी बेंको की भर्ती परीक्षाएं अब एक साथ संयुक्त रूप से होगी.







बैंको में प्रोवेश्नरी ऑफिसर (पी० ओ० ) और मेनेजर ट्रेनी पदों के लिए देश में पहली बार होने जा रही है, संयुक्त लिखित भर्ती परीक्षा का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। परीक्षा १८ सितम्बर को देश के सभी प्रमुख शहरो में होगी। बैंको में अफसर और क्लर्क ग्रेड में आगामी तीन वर्षो में १ लाख से अधिक पदों पर सीधी भर्ती होनी है। इसे देखते हुए भारतीय बैंक संघ ने सभी बैंको के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा कराने का निर्णय लिया, जिसे भारत सरकार ने स्वीकृति दे दी है । यह जिम्मेदारी इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आई बी पी एस ) को दी गयी है । जो एक स्वशाससित संस्था है। हालाँकि आई बी पी एस के पास केवल लिखित परीक्षा के अधिकार होंगे । इसके बाद साक्षात्कार , ग्रुप डिस्कशन आदि की प्रक्रिया बैंक स्तर पर ही अपनी जाएगी ।





परीक्षा में दो तरह के प्रश्न पूंछे जायेंगे :-





पहले प्रश्नपत्र में तर्कशक्ति , अंग्रेजी भाषा , संख्यात्मक योग्यता , सामान्य ज्ञान और कंप्यूटर के ५०-५० प्रश्न होंगे। इन्हें हल करने के लिए ढाई घंटे मिलेंगे। यानि १५० मिनट में २५० प्रश्न करने होंगे। एक घंटे के दुसरे प्रश्न पत्र में वर्णात्मक प्रश्न पूछे जायेंगे।






मंगलवार, 23 अगस्त 2011

मध्य प्रदेश : समसामयिकी २०१०-११







मध्य
प्रदेश शासन के सम्मान /पुरस्कार
* लता मंगेशकर सम्मान (
सुगम संगीत के लिए राष्ट्रिय स्तर पर )
आयोजक - म० प्र० संस्कृति विभाग
स्थान- इंदौर
वर्ष २००८-०९ : रवि
वर्ष २००९-१० :अनुराधा पौडवाल
* तानसेन सम्मान (शास्त्रीय संगीत के लिए राष्ट्रिय स्तर पर )
आयोजक - म० प्र० संस्कृति विभाग
स्थान- ग्वालियर
वर्ष - २००८-०९: उस्ताद गुलाम मुस्तफा (ख्याल गायक )
वर्ष - २००९-१० : पंडित अजय पोहनकर
(ख्याल गायक )
* किशो
र कुमार सम्मान (फिल्म निर्माण के कई क्षेत्रो में राष्ट्रिय स्तर पर )
आयोजक - म० प्र० संस्कृति विभाग
स्थान- खंडवा
वर्ष- २००९-१० : यश चौपडा
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# श्रीलंका में प्रति वर्ष मध्य प्रदेश सप्ताह मनाया जाता है ।
# देश का पहला सोलर पार्क "गणेशपुरा " (जिला- राजगढ़ ) में स्थापित हुआ है , जिससे लगभग ५० मेगावाट सौर विद्युत उत्पादित होगी ।
# एशिया का सबसे बड़ा पनीर निर्माण संयंत्र खजुराहो में खोला जा रहा है ।
#
मध्य प्रदेश में पहला गैस आधारित विद्युत गृह "भांडेर" (ग्वालियर ) में है । जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग ३०० मेगावाट है ।
# मध्य प्रदेश में सर्वाधिक पवन चक्कियां देवास जिले में है ।
# अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेंहू अनुसंधान केंद्र - " खमरिया " (जबलपुर ) में प्रस्तावित है ।
# मध्य प्रदेश में पहला पेपरलेस वर्क वाला पहला कार्यालय - " बालाघाट जनसंपर्क कार्यालय " है ।
# उब्दी जिला खरगौन में प्रत्येक किसान के घर में बायोगैस प्लांट है ।
# मध्य प्रदेश भारत का ऐसा पहला राज्य है जिसने अपने यहाँ शासन द्वारा किये जाने वाले कार्यो की गारंटी के लिए " मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम " पारित किया है ।
इस अधिनियम के अंतर्गत लगभग १९ विभाग आते है , इन विभागों से सम्बंधित कार्यो के लिए जनता को कार्य होने की एक समय सीमा निश्चित की गयी है , अगर कार्य उस समय सीमा में नही होता है , तो व्यक्ति इस अधियम के तहत शिकायत करेगा और शिकायत सही पायी जाने पर तथा कार्य में समय सीमा के बाद जितना भी अतिरिक्त समय लगेगा व्यक्ति को २५० रूपये प्रतिदिन के हिसाब से सम्बंधित अधिकारी/कर्मचारी के वेतन से काट कर पीड़ित पक्ष को दिया जायेगा ।
# रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले " रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य " को प्रोजेक्ट टाईगर में शामिल कर लिया गया है । इस तरह से अब मध्य प्रदेश में ७ प्रोजेक्ट टाइगर स्थल हो गये है ।
# मध्य प्रदेश शासन के द्वारा महत्वपूर्ण वृक्षों को संरक्षण देने के उद्देश्य से : जबलपुर को आम जिला , और पन्ना को आंवला जिला घोषित किया गया है ।
# रायसेन जिले में भीमबैठका की तरह ही पाषाण कालीन गुफाएं " म्रगेंद्रनाथ " में मिली है ।
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मध्य प्रदेश के प्रमुख पदाधिकारी :-
मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त : - श्री अजित रायजादा
मध्य प्रदेश राज्य सुचना आयुक्त : श्री पद्म पाणी तिवारी
मध्य प्रदेश राज्य मुख्य सचिव : श्री अवनि वैश्य
मध्य प्रदेश राज्य पुलिस महानिदेशक : श्री एस० के० राऊत
मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश : श्री सैयद रफात आलम


सोमवार, 22 अगस्त 2011

नए भर्ती विज्ञापन एवं परीक्षाये

कर्मचारी चयन आयोग :-
निम्न श्रेणी लिपिक , डाटा एंट्री ओपरेटर
आयु- १८ वर्ष - २७ वर्ष
योग्यता -हायर सेकंडरी
परीक्षा तिथि - ४ दिसंबर २०११
फार्म भरने की अंतिम तिथि - १६ सितम्बर २०११
परीक्षा शुल्क - १०० रूपये

रेलवे भर्ती बोर्ड भोपाल
पद- असिस्टेंट लोको पायलट
पद संख्या - ११३४
आयु - १८ - ३० वर्ष
अंतिम तिथि - १२ सितम्बर २०११
योग्यता - आइ० टी ० आई ० , सहित हाई स्कूल

भारत में आंदोलनों का इतिहास




भारत में आंदोलनों का लम्बा इतिहास रहा है । वैसे तो अंग्रेजो के खिलाफ पहला आन्दोलन बंगाल में सन्यासी विद्रोह था। जिस पर वन्दे मातरम के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास "आनंदमठ "(इसी उपन्यास में वन्दे मातरम लिखा गया था )लिखा गया था।
इसके के बाद अंग्रेजो के खिलाफ अगला सशक्त आन्दोलन १९०५ में बंग - भंग आन्दोलन था । लोर्ड कर्जन के बंगाल विभाजन के निर्णय के खिलाफ पूरा बंगाल (जिसमे आज का बांग्लादेश भी शामिल था ) एक हो गया। कृष्ण कुमार मित्र के आह्वान पर बंगाल में विदेशी वस्तुओ का वहिष्कार करके स्वदेशी आन्दोलन की नींव पड़ी (इसी स्वदेशी आन्दोलन से प्रेरित होकर बाद में गाँधी जी ने इसका प्रयोग १९२० में असहयोग आन्दोलान्मे किया था ।) बंग भंग आन्दोलन के दौरान ही रवींद्र नाथ टेगौर ने हिन्दू - मुसलमानों को प्रेरित कर " रक्षाबंधन " मनाया । इसी आन्दोलन के दौरान रवींद्र नाथ टेगौर ने अपना प्रसिद्द गीत "आमार सोनार बांगला " लिखा । (बाद यही गीत बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना, टेगौर विश्वा के एकमात्र व्यक्ति है , जिन्होंने दो देशो का राष्ट्रगान लिखा है । ) इन आंदोलनों के फलस्वरूप ही १९११ के दिल्ली दरवार में बंगाल विभाजन को रद्द किया गया।
देश में सबसे चर्चित आन्दोलन महात्मा गाँधी के रहे है । महात्मा गाँधी जी ने दुनिया को भूख हड़ताल (आमरण अनशन ) और सत्याग्रह जैसे सशक्त हथियार दिए । १९१७ में गांधी जी ने देश में पहला सत्याग्रह "चंपारण सत्याग्रह " के रूप में किया । जिसमे चंपारण , बिहार के किसानो को निलहे (नील की खेती जबरन कराने वाले अंग्रेज ) से मुक्ति दिलाई । इसके बाद गाँधी जी ने अहमदाबाद मिल मजदूर आन्दोलन में विश्व की पहली भूख हड़ताल की ,और अपने ही मित्रो के खिलाफ जाकर मजदूरो को उनका हक दिलाया।
गाँधी जी का राष्ट्रिय स्तर का पहला आन्दोलन १९२१ में "असहयोग आन्दोलन " था । इस आन्दोलन में देश के हर वर्ग के लोगो ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया , जब आन्दोलन अपने चरम सीमा पर था , तभी गोरखपुर के चौरी- चौरा में लोगो ने पुलिस थाने में आग लगा कर २२ पुलिस वालो को जला दिया , इस अहिंसक आन्दोलन में इस घटना के होने से दुखी होकर गाँधी जी ने अपना यह आन्दोलन वापस ले लिया ।
१९३० ई० में गांधी जी ने १२ मार्च को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से तटीय गाँव दांडी तक ६ अप्रैल को पैदल यात्रा पूरी कर के घोर आमानवीय कानून को वुने सहित तोडा , इसी के साथ पुरे देश में जगह जगह इस तरह के कानून तोड़े जाने लगे , सविनय आन्दोलन की शुरुआत हो गयी , जिसकी परिणति गाँधी - इरविन समझौते से हुई ।
गाँधी जी का एक और आन्दोलन "भारत छोडो आन्दोलन " माना जाता है , ८ अगस्त १९४२ को बम्बई के ग्वलिया टेंक मैदान से "करो या मरो "
का नारा देकर आन्दोलन की शुरुआत की गयी , मगर दुसरे ही दिन अंग्रेजो ने कोंग्रेस के सभी बड़े नेताओ को गिरफ्तार कर लिया । जिससे आन्दोलन नेत्रत्व विहीन हो गया । जनता हिंसक हो गयी । उसी समय अंग्रेज द्वितीय विश्व युद्ध में फंसे थे । दूसरी और सुभास चन्द्र बोस जापान की सहायता से आज़ाद हिंद फौज द्वारा अंग्रेजो की नाक में दम किये थे । मजबूरन १९४६ में अंग्रेजो को भारत में केबिनेट मिशन को भेजना पड़ा , जिसकी सिफारिश पर ही १९४६ में संविधान सभा का निर्माण हुआ ।

आज़ादी के बाद भी देश में कई आन्दोलन हुए । जैसे - १९५३ में तेलगू भाषी राज्य के लिए आंदोलन
विनोवा भावे का
"भूदान आन्दोलन " , १९७५ में इंदिरा गाँधी की तानाशाही के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण का आन्दोलन , जिसके बाद पुरे देश में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी । स्वयं इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी थी ।

अब देश में अन्ना हजारे (किशन बाबुराव हजारे ) के अनशन के साथ पुरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और जन लोकपाल के समर्थन में चल रहा आन्दोलन .................भी एक नया इतिहास बनने जा रहा है ।

# अन्ना हजारे (समाज सेवा हेतु ), अरविन्द केजरीवाल (सुचना के अधिकार कानून की जागरूकता फ़ैलाने हेतु )और किरण वेदी ( स्वच्छ प्रसाशन हेतु ) एशिया का नोबल खा जाने वाला " रेमन मैग्सेसे अवार्ड " मिले है ।

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

समसामयिक ज्ञान २०१०-११

# तियान्हे १ ऐ - चीन द्वारा निर्मित विश्व का सबसे तेज कंप्यूटर है । जिसकी गति २.५०७ पेंटा फ्लाप्स है ।
# अंतर्राष्ट्रीय वन वर्ष २०११ - संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष २०११ को अंतर्राष्ट्रीय वन वर्ष घोषित किया गया है । और इस कार्यक्रम का मेजबान आयोजक देश भारत है ।
# कर्नाटक के चित्रदुर्गा जिले में रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO) का दूसरा मिसाईल परिक्षण रेंज निर्माणाधीन है । पहला परिक्षण रेंज ओड़िसा के बालासौर के निकट समुद्र में चांदीपुर में स्थित है ।
# संयुक्त रास्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में भारत को २ वर्ष की अस्थायी सदस्यता १२ अक्तूबर २०१० को मिली। इससे पहले भारत ६ बार अस्थायी सदस्य रह चूका है । अंतिम बार १९९१-९२ में रहा था ।
# भारत सरकार ने पर्यावरण सम्बन्धी मामलो के लिए अक्तूबर २०१०में राष्ट्रिय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिबुनल ) का गठन किया है । सर्वोच्च न्यायलय के सेवानिवृत न्यायाधीश लोकेश्वर सिंह पाटा को इस ट्रिबुनल का प्रथम प्रमुख बनाया है। ऑस्ट्रेलिया , न्यू ज़ीलैण्ड के बाद भारत इस तरह की अदालत बनाने वाला विश्व का तीसरा देश बन गया है ।

सोमवार, 15 अगस्त 2011

आधुनिक भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्य

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1944&47 bZ-

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ckxh jko&II

1796&1818 bZ-

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By :-

MUKESH PANDEY

Mob. : 9039438781

रविवार, 14 अगस्त 2011

ऐसा देश है मेरा ..........

आप सभी को लक्ष्य परिवार की ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।
आज सरे देश में चारो ओर नकारात्मकता फैली हुई है । लोगो का सरकार और राजनैतिक पार्टियो से विश्वास उठ चुका है। मगर ऐसा नही है की हमारा देश असफल है । ६४ साल किसी भी देश के जीवन में कुछ पल के सामान होते है । इन ६४ सालो में हम दुनिया में एक महाशक्ति के तौर पर उभर रहे है । अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भी भारत की तारीफ में कसीदे पढ़े । हम दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है । हमारी सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सशक्त है । हमारे पास दुनिया का सबसे ज्यादा युवा है। हमारे इन्जिनेयर और डोक्टर दुनिया में अपना परचम गाड रहे है । बोलिबुड की फिल्मे दुनिया भर में देखि जा रही है ।
कहने का तात्पर्य यह है की हम किसी भी सिक्के का एक ही पहलु न देखे बल्कि दूसरा पहलु भी पहचाने ।
जय हिंद

हर विषय के लिए अलग रणनीति ....




नमस्कार दोस्तों ,
अक्सर लोग सामान्य अध्ययन की तैयारी कैसे करे ? इस बात को लेकर परेशां रहते है , मगर समस्या यह होती है , कि लोग सामान्य अध्ययन के सभी विषयों जैसे - इतिहास , भूगोल , राज व्यवस्था , अर्थशास्त्र और विज्ञानं आदि सभी विषयों कि तैयारी एक जैसे तरीके से करते है , जो कि गलत तरीका है । अगर हम सारे विषय एक जैसे तरीके से पढ़े तो कई तरह कि परेशानियाँ होने लगेगी । आइये जानते है , किस विषय को किस तरह से पढ़ा जाये :-
इतिहास :- इतिहास एक तरह से विभिन्न घटनाओ कि एक कहानी होती है , जो अगर क्रम से पढ़ा जाये तो अच्छे से समझ में आएगा .होता क्या है , कि लोग इतिहास पढना गलत तरीके से शुरू करते है । अधिकांश परीक्षाओ में इतिहास के ज्यादातर प्रश्न आधुनिक इतिहास से ही आते है , इसीलिए लोग सीधे आधुनिक इतिहास को पढना शुरू करते है । मगर इतिहास कि सभी घटनाएं एक दुसरे से जुडी होती है , अतः आधुनिक इतिहास कि कुछ घटनाओ का सम्बन्ध मध्यकालीन या प्राचीन इतिहास से जुडी होती है । अतः इतिहास हमेशा प्राचीन काल से ही पढना शुरू करना चाहिए और हमेशा एक क्रम से ही पढना चाहिए .ताकि एक दुसरे से जुडी घटनाओ कि क्रमबद्धता और निरंतरता बनी रहे । अगर इतिहास को हम एक बार कहानी कि तरह पढ़ ले साथ ही महत्वपूर्ण विन्दुओ को चिन्हित करते जाये , एक टोपिक ख़त्म होने के बाद सभी महत्वपूर्ण विन्दुओ को एक साथ लिख ले और उन्हें एक दुसरे से जोड़ते हुए याद कर ले तो इतिहास हमारे लिए एक सरल कहानी बन जायेगा ।
भूगोल :-
भूगोल भी सामान्य अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय है । इसे रटने के बजे समझ के पढना चाहिए , और भूगोल को समझने में मानचित्रो कि बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अतः भूगोल मानचित्रो कि सहायता से एक खेल बन जायेगा । जितना अधिक आप मानचित्रो का अध्ययन करेंगे भूगोल उतना ही आपको रुचिपूर्ण और मजे दार लगेगा।
विज्ञानं :- विज्ञानं कोई रटने वाला विषय नही है । अक्सर कला संकाय के छात्रो को विज्ञानं को पढने समझने में परेशानी होती है । इसका कारन है कि वे कला के विषयों कि तरह विज्ञानं को भी रटना चाहते है। मगर विज्ञान एक अवधारणात्मक विषय है । इसे बिना समझे नही आगे बाधा जा सकता है । अगर आपने एक बार अपनी अवधारणा स्पष्ट कर ली तो आपको रटने कि जरुरत ही नही है। विज्ञान को भी हम चित्रों के माध्यम से अच्छी तरह से समझ सकते है । जैसे - जीव विज्ञान तो पूरी तरह से चित्रों पर ही आधारित है । हाँ कुछ तथ्य विज्ञान में भी रटने पद सकते है , जैसे आविष्कार-अविष्कारक ,विज्ञान कि विभिन्न शाखाये , तकनिकी शब्द आदि विज्ञान के तकनिकी शब्दों के अगर हम हिंदी नामों कि जगह अंग्रेजी नाम याद करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा । क्योंकि हिंदी में नाम अलग अलग पुस्तकों में अलग मिलता है , जबकि अंग्रजी के नाम हर जगह एक से मिलेंगे। जैसे - जांघ की हड्डी को हिंदी कहीं जन्घस्थी तो कहीं गंदाकस्थी कहते है , मगर अंग्रेजी में हर जगह उसे फीमर ही कहते है । हिंदी में वैज्ञानिक शब्दावली अंग्रेजी की तुलना में बड़ी कठिन होती है । प्रतियोगी परीक्षाओ में विज्ञान में अकसर दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्नों पर ज्यादा जोर दिया जाता है , अतः विज्ञान के सिद्धांतो और नियमो के प्रयोगों पर ज्यादा धयान दिया जाना चाहिए ।
राजव्यवस्था या संविधान :- राजव्यवस्था की भाषा शैली थोड़ी सी कानूनी और कठिन होती है ,लेकिन हमें वही भाषा शैली याद करनी होगी । जैसे संविधान के अनुच्छेदों को ज्यो का त्यों याद करना होगा । इन अनुच्छेदों को हमें रटना ही होगा । हाँ , यहाँ हम थोड़े से चयनात्मक हो सकते है , मतलब हम उन्ही अनुच्छेदों को याद करे जो अक्सर परीक्षाओ में आते रहते है , जैसे मौलिक अधिकार (१४,१६, १७,१९, २१ ), नीति निदेशक तत्व(४०,४४,४५,४८ ५१ ) , राष्ट्रपति(५२-६१ ), प्रधान मंत्री (74) , नयायपालिका (३२,१२४, २१४, ३२६ )आदि से सम्बंधित अनुच्छेद । कुछ तथ्यों को हम समझ कर याद कर सकते है , जैसे - विधायिका, न्यायपालिका , कार्यपालिका , संसदीय प्रक्रियाये आदि
समसामयिकी :- अक्सर परीक्षाओ में पिछले एक वर्ष के दौरान घटी घटनाये , महत्वपूर्ण निधन, व्यक्तिव , पुरस्कार, आयोजन आदि से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है । और लोग पत्रिकाओ के वार्षिकांक के रटते मारने शुरू कर देते है , जो गलत तरीका है । इसका सबसे आसान तरीका है । आप रोज नियमित तौर से आकाशवाणी या दूरदर्शन के समाचार (कृपया प्राईवेट न्यूज चैनल न सुने वो आपकी परीक्षाओ के हिसाब से घातक है । ) , प्रतिदिन एक राष्ट्रिय स्तर का अखबार पढ़े और प्रति माह एक मासिक पत्रिका पढ़े । इस तरह से आप महत्वपूर्ण खबरों को कम से कम तीन बार पढेंगे -सुनेंगे ,और आपको वो समसामयिक घटनाये अलग से रटने की जरुरत ही नही रहेगी । हाँ इन तीन काम को करते समय इनके नोट्स भी बनाते चले ।

शनिवार, 13 अगस्त 2011

सफलता का पहला कदम







अक्सर लोग सफलता तो पाना चाहते है , मगर सफलता के अनुरूप मेहनत करने से घबराते है । आप जितनी बड़ी सफलता के लिए प्रयास करेंगे आपको उतनी ही ज्यादा मेहनत करनी होगी , क्योंकि सफलता के कोई शार्टकट नही होता है । अब सवाल ये उठता है की आखिर सफलता के लिए कब , कितनी और कैसे , कहाँ मेहनत करनी चाहिए की हमें सफलता निश्चित टूर पर मिल सके ! ?





इसी तरह के सवालो के जवाब हम अपनी अगली पोस्टों में देंगे । बस आप इसी वेबसाइट पर थोडा इन्तजार कीजिये । हमें आपके सुझावों , प्रतिक्रियाओ का बेसब्री से इन्तजार रहेगा ।





आपकी सफलता में एक छोटा सा सहयोगी बनकर हमें बड़ी ख़ुशी होगी !

लक्ष्य : एक उद्देश्य



लक्ष्य इस ब्लॉग का उद्देश्य है। उन सभी को की मदद करना है , जो प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है या करना चाहते है मगर सही मार्गदर्शन के आभाव में परेशान है । ऐसे सभी प्रतियोगियो के हर सवाल का जवाब इस ब्लॉग के माध्यम से देने की कोशिश की जाएगी । आप अपने सवाल या समस्याएं ई मेल या नीचे दिए टिपण्णी विकल्प में लिखकर भेज सकते है । या आप अपनी समस्याएं सीधे मेरे मोबाईल न० ९०३९४३८७८१ पर कॉल करके उनका समाधान पा सकते है ।



सफलता ही इस ब्लॉग का एकमात्र लक्ष्य है ।