इस बार मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपने सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्न पत्र में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को जोड़ा गया है . हालाँकि यह विषय पहले से भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अत रहा है . पहली बार पूरा अधिनियम ही सिलेबस में शामिल किया गया है . अतः आज कि इस पोस्ट में मैं आप सभी को इस महत्वपूर्ण विषय के महत्वपूर्ण तथ्यों को बताने का विचार किया .
- इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम - मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 है .
- इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है . (जम्मू और कश्मीर में वह तक लागू होगा जहाँ तक लागू संविधान की सातवी अनुसूची की सूची 1 या सूची 3 के विषयों से सम्बंधित हो )
- यह 28 दिसंबर 1993 से प्रवृत हुआ .
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग निम्न लिखित से मिलकर बनेगा :-
(क) एक अध्यक्ष , जो उच्चतम न्यायलय का मुख्य न्यायमूर्ति रहा हो ;
(ख) एक सदस्य , जो उच्चतम न्यायलय का न्यायाधीश है या रहा हो ,
(ग) एक सदस्य , जो किसी उच्च न्यायलय का मुख्य न्यायमूर्ति है या रहा हो ,
(घ) दो सदस्य , जो ऐसे व्यक्तियों में से नियक्त किये जायेंगे , जिन्हे मानवाधिकारों सम्बन्धी विषयों का ज्ञान हो .
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक /अ.जजा./ अजा / महिला आयोगो के अध्यक्ष आयोग के सदस्य समझे जायेंगे ( धारा - 12 )
- आयोग का मुख्यालय दिल्ली में है .
- आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष , गृह मंत्री , लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष , राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष , राज्यसभा के उप सभा पति की समिति की सिफारिश पर करेगा .
- अध्यक्ष या कोई सदस्य राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देंगे .
- अध्यक्ष या किसी सदस्य को केबल साबित किसी कदाचार या असमर्थता के अधर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा विहित प्रक्रिया की जाँच रिपोर्ट के आधार पर ही हटाया जा सकेगा.
-अध्यक्षो या सदस्यो की पदावधि पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष तक या सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक , इनमे जो भी पहले हो होगी .
- अध्यक्ष या कोई सदस्य , अपने पद पर न रह जाने पर, भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य के अधीन किसी भी नियोजन का पात्र नही होगा .
आयोग के कृत्य और शक्तियां -
आयोग निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगा , अर्थात -
(क) स्वप्रेरणा से या किसी पीड़ित व्यक्ति द्वारा या उसकी और से किसी व्यक्ति द्वारा या उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निदेश पर उसको प्रस्तुत की गयी अर्जी पर -
(i ) मानवाधिकारों का किसी लोक सेवक द्वारा अतिक्रमण या दुष्प्रेरण किये जाने की ; या
(i i) ऐसे अतिक्रमण के निवारण में किसी लोक सेवक द्वारा उपेक्षा की, शिकायत के बारे में जाँच करना ;
(ख) किसी न्यायालय के समक्ष लंबित किसी कार्यवाही में जिसमे मानवाधिकारों के अतिक्रमण का कोई अभिकथन अंतर्वलित है , उस न्यायालय के अनुमोदन से मध्यक्षेप करना;
(ग) तत्समय प्रवृत किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार के नियंत्रण के अधीन किसी जेल या किसी अन्य संस्था का जहाँ व्यक्ति उपचार , सुधार या संरक्षण के प्रयोजनों के लिए निरुद्ध या दाखिल किये जाते है , वहाँ के निवासियों के जीवन की परिस्तिथियों का अध्ययन करने के लिए , निरिक्षण करना और उन पर सरकार को सिफारिश करना ;
(घ) संविधान या मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंधित रक्षोपायों का पुनर्विलोकन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना ;
(ड़) ऐसी बातों का , जिनके अंतर्गत आतंकवाद के कार्य हैं, और जो मानव अधिकारों के उपभोग में विघ्न डालती है , पुनर्विलोकन करना और समुचित उपचारी उपायों की सिफारिश करना ;
( च ) मानवाधिकारों से सम्बंधित संधियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय लिखतों का अध्ययन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए सिफारिश करना ;
(छ ) मानवाधिकारों के क्षेत्र में अनुसन्धान करना और उसका संवर्धन करना ;
(ज) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकारों सम्बन्धी जानकारी का प्रचार करना और प्रकाशनों , संचार, विचार माध्यमों , गोष्टियों और अन्य उपलभ्ध साधनों के माध्यम से इन अधिकारों के संरक्षण के लिए उपलब्ध रक्षोपाय के प्रति जागरूकता का संवर्धन करना ;
(झ ) मानवाधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठनों और संस्थाओं के प्रयासों को उत्साहित करना ;
(ट ) ऐसे कृत्य करना , जो मानवाधिकारों के संवर्धन के लिए आवश्यक समझे जायेंगे .
( क्रमशः जारी ...)
- इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम - मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 है .
- इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है . (जम्मू और कश्मीर में वह तक लागू होगा जहाँ तक लागू संविधान की सातवी अनुसूची की सूची 1 या सूची 3 के विषयों से सम्बंधित हो )
- यह 28 दिसंबर 1993 से प्रवृत हुआ .
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग निम्न लिखित से मिलकर बनेगा :-
(क) एक अध्यक्ष , जो उच्चतम न्यायलय का मुख्य न्यायमूर्ति रहा हो ;
(ख) एक सदस्य , जो उच्चतम न्यायलय का न्यायाधीश है या रहा हो ,
(ग) एक सदस्य , जो किसी उच्च न्यायलय का मुख्य न्यायमूर्ति है या रहा हो ,
(घ) दो सदस्य , जो ऐसे व्यक्तियों में से नियक्त किये जायेंगे , जिन्हे मानवाधिकारों सम्बन्धी विषयों का ज्ञान हो .
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक /अ.जजा./ अजा / महिला आयोगो के अध्यक्ष आयोग के सदस्य समझे जायेंगे ( धारा - 12 )
- आयोग का मुख्यालय दिल्ली में है .
- आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष , गृह मंत्री , लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष , राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष , राज्यसभा के उप सभा पति की समिति की सिफारिश पर करेगा .
- अध्यक्ष या कोई सदस्य राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देंगे .
- अध्यक्ष या किसी सदस्य को केबल साबित किसी कदाचार या असमर्थता के अधर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा विहित प्रक्रिया की जाँच रिपोर्ट के आधार पर ही हटाया जा सकेगा.
-अध्यक्षो या सदस्यो की पदावधि पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष तक या सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक , इनमे जो भी पहले हो होगी .
- अध्यक्ष या कोई सदस्य , अपने पद पर न रह जाने पर, भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य के अधीन किसी भी नियोजन का पात्र नही होगा .
आयोग के कृत्य और शक्तियां -
आयोग निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगा , अर्थात -
(क) स्वप्रेरणा से या किसी पीड़ित व्यक्ति द्वारा या उसकी और से किसी व्यक्ति द्वारा या उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निदेश पर उसको प्रस्तुत की गयी अर्जी पर -
(i ) मानवाधिकारों का किसी लोक सेवक द्वारा अतिक्रमण या दुष्प्रेरण किये जाने की ; या
(i i) ऐसे अतिक्रमण के निवारण में किसी लोक सेवक द्वारा उपेक्षा की, शिकायत के बारे में जाँच करना ;
(ख) किसी न्यायालय के समक्ष लंबित किसी कार्यवाही में जिसमे मानवाधिकारों के अतिक्रमण का कोई अभिकथन अंतर्वलित है , उस न्यायालय के अनुमोदन से मध्यक्षेप करना;
(ग) तत्समय प्रवृत किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार के नियंत्रण के अधीन किसी जेल या किसी अन्य संस्था का जहाँ व्यक्ति उपचार , सुधार या संरक्षण के प्रयोजनों के लिए निरुद्ध या दाखिल किये जाते है , वहाँ के निवासियों के जीवन की परिस्तिथियों का अध्ययन करने के लिए , निरिक्षण करना और उन पर सरकार को सिफारिश करना ;
(घ) संविधान या मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंधित रक्षोपायों का पुनर्विलोकन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना ;
(ड़) ऐसी बातों का , जिनके अंतर्गत आतंकवाद के कार्य हैं, और जो मानव अधिकारों के उपभोग में विघ्न डालती है , पुनर्विलोकन करना और समुचित उपचारी उपायों की सिफारिश करना ;
( च ) मानवाधिकारों से सम्बंधित संधियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय लिखतों का अध्ययन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए सिफारिश करना ;
(छ ) मानवाधिकारों के क्षेत्र में अनुसन्धान करना और उसका संवर्धन करना ;
(ज) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकारों सम्बन्धी जानकारी का प्रचार करना और प्रकाशनों , संचार, विचार माध्यमों , गोष्टियों और अन्य उपलभ्ध साधनों के माध्यम से इन अधिकारों के संरक्षण के लिए उपलब्ध रक्षोपाय के प्रति जागरूकता का संवर्धन करना ;
(झ ) मानवाधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठनों और संस्थाओं के प्रयासों को उत्साहित करना ;
(ट ) ऐसे कृत्य करना , जो मानवाधिकारों के संवर्धन के लिए आवश्यक समझे जायेंगे .
( क्रमशः जारी ...)
सार्थक
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ब्लॉग बुलेटिन से यहाँ पहुँचना भा गया :)
thank's regard for your information and i like this post ^___^
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