आजकल प्रतियोगी परीक्षाओ में सफलता के लिए सामान्य हिंदी एक महत्पूर्ण कारक की भूमिका निभा रहा है . अक्सर प्रतियोगी हिंदी को सरल समझ कर ज्यादा ध्यान नही देते , जो असफलता का एक कारण हो सकता है . हिंदी के महत्त्व को देखते हुए परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण अलंकारो का वर्णन किया जा रहा है .
परिभाषा - काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है .
अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - आभूषण
अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते है -
१- शब्दालंकार
२- अर्थान्लंकर
( कहीं कहीं अलंकार का तीसरा प्रकार उभयालंकार भी मिलता है )
१- शब्दालंकार - जहाँ काव्य में शब्दों के कारण चमत्कार आ जाता है , वहां शब्दालंकार होता है .
शब्दालंकार के कुछ प्रमुख भेद है -
अनुप्रास शब्दालंकार - वर्णों (अक्षरों ) की आवृत्ति को अनुप्रास कहते है . किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है .
परिभाषा - काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है .
अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - आभूषण
अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते है -
१- शब्दालंकार
२- अर्थान्लंकर
( कहीं कहीं अलंकार का तीसरा प्रकार उभयालंकार भी मिलता है )
१- शब्दालंकार - जहाँ काव्य में शब्दों के कारण चमत्कार आ जाता है , वहां शब्दालंकार होता है .
शब्दालंकार के कुछ प्रमुख भेद है -
अनुप्रास शब्दालंकार - वर्णों (अक्षरों ) की आवृत्ति को अनुप्रास कहते है . किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है .
"स्वर का सम्मलेन जहाँ , चाहे होय न होय
व्यंजन की समता मिले , अनुप्रास है सोय . "
उदहारण -
१- चारू चन्द्र की चंचल किरणे , खेल रही है , जल थल में
(च और ल वर्ण की आवृत्ति )
२- तरनी तनूजा तट- तमाल तरुवर बहु छाये
(त वर्ण की आवृत्ति )
३- सुन सिय सत्य असीस हमारी
( स वर्ण की आवृत्ति )
४- मुदित महीपति मंदिर आये , सेवक सचिव सुमंत बुलाये
( म और स वर्ण की आवृत्ति )
यमक शब्दालंकार - यमक का शाब्दिक अर्थ है जुड़वाँ या दो . इस अलंकार में एक बार- बार आये लेकिन उसका अर्थ बदल जाये .
"एक ही शब्द फिर फिर जहाँ परे अनेकन बार
अर्थ और ही और हो सो यमकलंकर "
उदहारण -
१- कनक- कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय
या खाए बौराय जग , वा पाए बौराय .
( पहले कनक का अर्थ धतूरा , और दुसरे कनक का अर्थ सोना है )
२- जे तीन बेर खाती थी , वे तीन बेर खाती है .
( तीन बेर - तीन बार और तीन बार - तीन बेर के फल )
३- लहर लहर कर यदि चूमे तो ,
किंचित विचलित न होना
(लहर- तरंग , लहर - मचलना )
श्लेष शब्दालंकार - श्लेष शब्द का अर्थ है , चिपका हुआ. जहाँ एक शब्द से अनेक अर्थ चिपके हुए हो .
प्रगट अनेकन अर्थ जहँ, एक शब्द से होय
ताहि कहत है श्लेष कवि, द्वै विधि होवे सोय
उदहारण - -
१- जो रहीम गति दीप की , कुल कपूत गति सोय
बारै उजियारो करै , बढे अँधेरा होय
(बारै - बचपन में , जलाने पर : बढे - बड़ा होने पर , बुझने पर )
२- रहिमन पानी रखिये , बिन पानी सब सून
पानी गये न ऊबरे , मोती , मानुस चून
( पानी - चमक , सम्मान और जल )
२- अर्थालंकार - जब शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो तो वहां अर्थालंकार होता है .
उपमा - जहँ एक वस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यंत सादृश्य के कारण किसी प्रसिद्द वस्तु या प्राणी से की जाये , वहां उपमा अलंकार होता है .
उदहारण -
१- सिन्धु- सा विस्तृत है अथाह
एक निर्वासित का उत्साह
(यहाँ "उत्साह " की "सिन्धु " से तुलना की गयी है )
२ - सीता का मुख चन्द्रमा के सामान सुन्दर है
उपमा के अंग -
I . उपमेय - जिसके लिए उपमा दी जाये ( जैसे - सीता )
II . उपमान - जिससे उपमा दी जाती है (जैसे - चन्द्रमा)
III .वाचक शब्द - जिस शब्द के द्वारा समानता बताई जाई . (जैसे - सामान )
IV . सामान धर्म - वह गुण या क्रिया , जो उपमेय और उपमान में एक सामान हो ( जैसे - सुन्दरता )
क्रमशः -
बहुत अच्छी और उपयोगी श्रृंखला है यह।
जवाब देंहटाएंसीमित उदाहरण ही सर्वत्र दिखने के कारण मुझे यह अध्याय बड़ा जटिल लगता है। पाठ्यपुस्तकों में, एक-एक अलंकार को कई-कई उदाहरणों से समझाया जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लेख ...
जवाब देंहटाएंआभार !
यमक अलंकार - काली घटा का घमंड घटा |
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