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गुरुवार, 26 जनवरी 2012
१५ अगस्त से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है २६ जनवरी
आप सभी को देश के ६३ वे गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।
जैसा कि सबको पता है कि २६ जनवरी १९५० को हमारे संविधान को लागू किये जाने के कारन हम सभी भारतवासी इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मानते है । वैसे हमरा देश पंद्रह अगस्त १९४७ को आज़ाद हुआ था , लेकिन पंद्रह अगस्त से भी ज्यादा धूम धाम से छब्बीस जनवरी मनई जाती है । तो मन में प्रश्न उठता है ऐसा क्यूँ ?
तो आपकी जानकारी के लिए बता दू , कि भले ही हम पंद्रह अगस्त १९४७ को वैधानिक तौर से आज़ाद हुए हो , मगर संवैधानिक तौर से तो २६ जनवरी १९५० को ही आज़ाद हुए । मतलब इस दिन के पहले हमारे पास न तो अपना संविधान था , न ही अपना गणतंत्र , न अपने कानून , न नागरिकता , न विधायिका और न ही कार्यपालिका- न्यायपालिका । हमारा देश अंग्रेजो के बनाये भारत शासन अधिनियम १९३५ से संचालित था ।
९ दिसंबर १९४६ को हमरी संविधान सभा का गठन हुआ ।
जिसके अस्थायी अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा बनाये गये थे ।
फिर ११ दिसंबर १९४६ को डॉ राजेंद्र प्रसाद स्थायी अध्यक्ष बने ।
२ वर्ष १८ माह और ११ दिन के अथक परिश्रम के बाद २६ नवम्बर १९४९ को दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार हुआ ।
हमारे देश के संविधान निर्माताओ ने समय कि कमी के कारण दुनिया के अच्छे संविधानो से अच्छी बातो को लेकर इसे तैयार किया था , खैर इस पर ब्रिटेन , अमेरिका, जापान , रूस , जर्मनी , फ़्रांस , द० अफ्रीका , आस्ट्रेलिया , कनाडा आदि का अधिक प्रभाव रहा ।
संविधान सभा कि प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव आंबेडकर थे ।
कोग्रेस द्वारा २६ जनवरी १९३० में मनाये गये स्वतंत्रता दिवस कि याद को अक्षुण बनाये रखने के लिए इसे तैयार होने के दो माह बाद २६ जनवरी १९५० को लागू कर दिया गया ।
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