- सूर्य से पृथ्वी पर आने वाला प्रकाश 30 हजार वर्ष पुराना होता है।
अब आप कहेंगे कि सूर्य से पृथ्वी की दूरी तो मात्र 8.3 प्रकाश मिनट है
तो ऐसा कैसे हो सकता है। यह सच है कि प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में
8.3 मिनट ही लगते हैं किन्तु जो प्रकाश हम तक पहुँच रहा है उसे सूर्य के
क्रोड (core) से उसके सतह तक आने में 30 हजार वर्ष लगते हैं और वह सूर्य की
सतह पर आने के बाद ही 8.3 मिनट पश्चात् पृथ्वी तक पहुँचता है, याने कि वह
प्रकाश 30 हजार वर्ष पुराना होता है।
- अन्तरिक्ष में यदि धातु के दो टुकड़े एक दूसरे को स्पर्श कर लें तो वे स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं।
यह भी अविश्वसनीय लगता है किन्तु यह सच है। अन्तरिक्ष के निर्वात के
कारण दो धातु आपस में स्पर्श करने पर स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं, बशर्तें
कि उन पर किसी प्रकार का लेप (coating) न किया गया हो। पृथ्वी पर ऐसा नहीं
हो सकता क्योंकि वायुमण्डल दोनों धातुओं के आपस में स्पर्श करते समय उनके
बीच ऑक्सीडाइज्ड पदार्थ की एक परत बना देती है।
- अन्तरिक्ष में ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती।
- जी हाँ, ध्वनि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए किसी
न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है और अन्तरिक्ष में निर्वात् होने के
कारण ध्वनि को गति के लिए कोई माध्यम उपलब्ध नहीं हो पाता।
- शनि ग्रह का घनत्व इतना कम है कि यदि काँच के किसी विशालाकार बर्तन में पानी भर कर शनि को उसमें डाला जाए तो वह उसमें तैरने लगेगा।
- वृहस्पति इतना बड़ा है कि शेष सभी ग्रहों को आपस में जोड़ दिया जाए तो भी वह संयुक्त ग्रह वृहस्पति से छोटा ही रहेगा।
- स्पेस शटल का मुख्य इंजिन का वजन एक ट्रेन के इंजिन के वजन का
मात्र 1/7 के बराबर होता है किन्तु वह 39 लोकोमोटिव्ह के बराबर अश्वशक्ति
उत्पन्न करता है।
- शुक्र ही एक ऐसा ग्रह है जो घड़ी की सुई की दिशा में घूमता है।
- चन्द्रमा का आयतन प्रशान्त महासागर के आयतन के बराबर है।
- सूर्य पृथ्वी से 330,330 गुना बड़ा है।
- अन्तरिक्ष में पृथ्वी की गति 660,000 मील प्रति घंटा है।
- शनि के वलय की परिधि 500,000 मील है जबकि उसकी मोटाई मात्र एक फुट है।
- वृहस्पति के चन्द्रमा, जिसका नाम गेनीमेड (Ganymede) है, बुध ग्रह से भी बड़ा है।
- किसी अन्तरिक्ष वाहन को वायुमण्डल से बाहर निकलने के लिए कम से कम 7 मील प्रति सेकण्ड की गति की आवश्यकता होती है।
- पृथ्वी के सारे महाद्वीप की चौड़ाई दक्षिण दिशा की अपेक्षा उत्तर दिशा में अधिक है, यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि ऐसा क्यों है।
- हमें आसमान नीला दिखाई देता है , लेकिन वास्तव में वह अंतरिक्ष यात्रियों को काला दिखाई देता है .
- शुक्र ग्रह को 'पृथ्वी की बहन ' , प्रेशर कुकर की दशा वाला गृह , भोर का तारा , साँझ का तारा कहा जाता है .
- युरेनस की अक्षीय स्थिति के कारण उसे ' लेटा हुआ ग्रह ' कहते है .
- हमारे सौर मंडल में 8 ग्रह है , लेकिन हमें रात को नंगी आँखों से सिर्फ पांच- बुध, शुक्र , मंगल , वृहस्पति और शनि ग्रह ही दिखाई देते है . युरेनस , नेपच्यून तो हमसे बहुत दूर है , और पृथ्वी पर तो हम देख ही रहे है .
- शनि को पीला , पृथ्वी को नीला , युरेनस को हरा , मंगल को लाल ग्रह कहते है .
- साभार - जी ० के ० अवधिया
बहुत ही रोचक जानकारी है. धन्यवाद.
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