मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र - ई में नया जुड़ा " अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम , 1989

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के  प्रश्न पत्र - I  में  नया जुड़ा " अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम , 1989

 महत्वपूर्ण बिंदु
- एक्ट भारतीय गणतंत्र के ४० वें  वर्ष में पारित किया गया .
- एक्ट का उद्देश्य - 
१. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार का विचारण
२. अपराधों  के विचारण हेतु  न्यायालयों का गठन
३. अपराध पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास 
-एक्ट का संक्षिप्त नाम वर्णित है - धारा - १ में 
 - एक्ट में अत्याचार शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (अ) में 
- अत्याचार से तात्पर्य है - एक्ट की धारा : ३ के अधीन दंडनीय अपराध 
- एक्ट में संहिता शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (ब ) में 
- एक्ट में संहिता का तात्पर्य है - दंड प्रक्रिया संहिता १९७३, भारतीय दंड संहिता १८६० 
- धारा ३ (१) के तहत दोषी व्यक्ति को सजा हो सकती है - ६ माह से ५ वर्ष का कारावास व जुर्माना
- अनु० जा० एवं अनु० ज० जा०  के सदस्य को जिसे ७ वर्ष या अधिक का कारावास दिया गया हो , तथा इस सम्बन्ध में मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने पर न्यूनतम ६ माह से 7 वर्ष  तक का कारावास दिया जा सकेगा , इससे जुर्माना भी प्रावधानित  है .
-   अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर सजा है
      - कारावास ( ६ माह से ७ वर्ष + जुर्माना ) 
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट में लोकसेवक को दिए गये कर्तव्य का यदि लोक सेवक पालन नही करता है , तो उसे सजा होगी - ६ माह से १२ माह का कारावास 
( बशर्ते लोकसेवक गैर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का हो , धारा :४ में वर्णित ) 
- पश्चात्वर्ती दोष सिद्धि की दशा  में न्यूनतम १ वर्ष से उस अपराध हेतु उपबंधित  अधिकतम दंड दिया जा सकता है . 
- निष्कासन से सम्बंधित उपबंध है - अध्याय -३ 
-धारा : १० के तहत  अधिकतम निष्कासन अवधि है .- २ वर्ष 
 -धारा : ९ के तहत अपराध के निवारणार्थ राज्य सरकार द्वारा किसी अधिकारी को पुलिस या न्यायालय की शक्तियां दी जा सकती है . 
( क्रमशः जारी....)


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