मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र - I में नया जुड़ा " अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम , 1989
महत्वपूर्ण बिंदु
- एक्ट भारतीय गणतंत्र के ४० वें वर्ष में पारित किया गया .
- एक्ट का उद्देश्य -
१. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार का विचारण
२. अपराधों के विचारण हेतु न्यायालयों का गठन
३. अपराध पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास
-एक्ट का संक्षिप्त नाम वर्णित है - धारा - १ में
- एक्ट में अत्याचार शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (अ) में
- अत्याचार से तात्पर्य है - एक्ट की धारा : ३ के अधीन दंडनीय अपराध
- एक्ट में संहिता शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (ब ) में
- एक्ट में संहिता का तात्पर्य है - दंड प्रक्रिया संहिता १९७३, भारतीय दंड संहिता १८६०
- धारा ३ (१) के तहत दोषी व्यक्ति को सजा हो सकती है - ६ माह से ५ वर्ष का कारावास व जुर्माना
- अनु० जा० एवं अनु० ज० जा० के सदस्य को जिसे ७ वर्ष या अधिक का कारावास दिया गया हो , तथा इस सम्बन्ध में मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने पर न्यूनतम ६ माह से 7 वर्ष तक का कारावास दिया जा सकेगा , इससे जुर्माना भी प्रावधानित है .
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर सजा है
- कारावास ( ६ माह से ७ वर्ष + जुर्माना )
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट में लोकसेवक को दिए गये कर्तव्य का यदि लोक सेवक पालन नही करता है , तो उसे सजा होगी - ६ माह से १२ माह का कारावास
( बशर्ते लोकसेवक गैर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का हो , धारा :४ में वर्णित )
- पश्चात्वर्ती दोष सिद्धि की दशा में न्यूनतम १ वर्ष से उस अपराध हेतु उपबंधित अधिकतम दंड दिया जा सकता है .
- निष्कासन से सम्बंधित उपबंध है - अध्याय -३
-धारा : १० के तहत अधिकतम निष्कासन अवधि है .- २ वर्ष
-धारा : ९ के तहत अपराध के निवारणार्थ राज्य सरकार द्वारा किसी अधिकारी को पुलिस या न्यायालय की शक्तियां दी जा सकती है .
( क्रमशः जारी....)
महत्वपूर्ण बिंदु
- एक्ट भारतीय गणतंत्र के ४० वें वर्ष में पारित किया गया .
- एक्ट का उद्देश्य -
१. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार का विचारण
२. अपराधों के विचारण हेतु न्यायालयों का गठन
३. अपराध पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास
-एक्ट का संक्षिप्त नाम वर्णित है - धारा - १ में
- एक्ट में अत्याचार शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (अ) में
- अत्याचार से तात्पर्य है - एक्ट की धारा : ३ के अधीन दंडनीय अपराध
- एक्ट में संहिता शब्द परिभाषित है - धारा २ (1) (ब ) में
- एक्ट में संहिता का तात्पर्य है - दंड प्रक्रिया संहिता १९७३, भारतीय दंड संहिता १८६०
- धारा ३ (१) के तहत दोषी व्यक्ति को सजा हो सकती है - ६ माह से ५ वर्ष का कारावास व जुर्माना
- अनु० जा० एवं अनु० ज० जा० के सदस्य को जिसे ७ वर्ष या अधिक का कारावास दिया गया हो , तथा इस सम्बन्ध में मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने पर न्यूनतम ६ माह से 7 वर्ष तक का कारावास दिया जा सकेगा , इससे जुर्माना भी प्रावधानित है .
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर सजा है
- कारावास ( ६ माह से ७ वर्ष + जुर्माना )
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट में लोकसेवक को दिए गये कर्तव्य का यदि लोक सेवक पालन नही करता है , तो उसे सजा होगी - ६ माह से १२ माह का कारावास
( बशर्ते लोकसेवक गैर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का हो , धारा :४ में वर्णित )
- पश्चात्वर्ती दोष सिद्धि की दशा में न्यूनतम १ वर्ष से उस अपराध हेतु उपबंधित अधिकतम दंड दिया जा सकता है .
- निष्कासन से सम्बंधित उपबंध है - अध्याय -३
-धारा : १० के तहत अधिकतम निष्कासन अवधि है .- २ वर्ष
-धारा : ९ के तहत अपराध के निवारणार्थ राज्य सरकार द्वारा किसी अधिकारी को पुलिस या न्यायालय की शक्तियां दी जा सकती है .
( क्रमशः जारी....)
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