शुक्रवार, 31 मई 2013

भारत-चीन विवाद क्या है ?

                         भारत के पडोसी देशों में चीन एक विशाल देश और २१ वी सदी की एक उभरती हुई महाशक्ति है . दोनों देशो के मध्य न केवल ४००० कि० मी० के लगभग संयुक्त सीमा (मैकमोहन रेखा ) है , बल्कि दोनों प्राचीन सभ्यताएं है , और हजारों वर्षो से दोनों के सम्बन्ध भी रहे है . ६५ ई ० में बौद्ध धर्म भारत से चीन गया , जिसने दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंधो को और मजबूत बनाया .
                      १९ वी सदी और २० वी सदी में दोनों देशों में देशों में राष्ट्रिय आन्दोलन ने ओपनैवेशिक दमन के खिलाफ नए संबंधो को जन्म दिया . चीनी नेता सनयात सेन के साथ कुछ भारतीय क्रांतिकारियों के भी सम्बन्ध थे. १९२४ में रविन्द्र नाथ टेगोर ने भी चीन का दौरा किया था .

चीन की आजादी :-
                                                          १ अक्टूबर १९४९ को जनवादी गणतंत्र चीन अर्थात साम्यवादी चीन के निर्माण के साथ ही भारत चीन को मान्यता देने वाले देशों में प्रथम था . भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के प्रतिनिधित्व के दावे का समर्थन अमेरिका , ब्रिटेन आदि देशों से नाराज़गी मोल लेकर किया .
पंचशील सिद्धांत :-
                              १९५४ में चीनी प्रधानमंत्री ' चाऊ-एन- लाई' के दौरे के समय भारतीय प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने मिलकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये . जिसे दुनिया में  " पंचशील " के नाम से जाना जाता है . इसी यात्रा के दौरान पंडित नेहरु ने " हिंदी-चीनी भाई भाई " नारा दिया था .
इस समझौते के पञ्च सिद्धांत इस प्रकार है -
१- दोनों देशों द्वारा एक दुसरे की संप्रभुता एवं अखंडता का सम्मान करना .
२- एक दुसरे पर आक्रमण न करना .
३- एक दुसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना .
४- समानता के आधार पर लाभों का वितरण .
५- शांति पूर्ण सहअस्तिव . 
     भारत-चीन युद्ध :-                             
                                          १९५७ तक दोनों देनो देशों में अटूट मित्रता बनी रही . 1950  में स्वतंत्र राज्य तिब्बत से चीन ने युद्ध छेड़ दिया . भारत ने इसका विरोध किया . साथ ही यह स्पष्ट किया किवह चीन के तिब्बत पर अधिराज्य को स्वीकार करता है , और चीन के आंतरिक मामलो में कोई दखल रखने का इरादा नही रखता . 1959  में अचानक विदेओह भड़क उठा , चीन कि सख्ती के कारन हजारों तिब्बतियों के साथ उनके आध्यात्मिक एवं राजनैतिक प्रमुख ' दलाई लामा ' ने भारत से शरण मांगी . भारत ने राजनैतिक शरण तो दी , लेकिन भारतीय भूमि पर चीन के विरुद्ध कोई गतिविधि न चलाने को कहा . चीन इससे चिढ गया . 
सितम्बर १९६२ को चीन ने भारत के नेफा क्षेत्र (पूर्वोत्तर भारत ) पर आक्रमण कर दिया . इसके बाद अक्टूबर 1962 में चेनी सेना ने पूरी भारत-चीन सीमा पर आक्रमण कर दिया . जल्द ही नवम्बर 1962 में एकतरफा युद्ध विराम कि घोषणा कर दी . इस युद्ध के बाद दोनों देशो के संबंधो में ऐसी वर्फ जमी जो आजतक पिघली ही नही . हाल में विवाद -
   पिछले दिनों चीनी सैनिक भारत के दौलत बेगि  ओल्डी क्षेत्र में घुसपैठ करके डेरा जमाये हुए थे . भारतीय और चीनी प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और ली केकियांग के बीच दो दिन (19 -20 मई) में दो दौर की बातचीत हुई . विवाद के तीन प्रमुख नतीजे निकले है . 
१. विवाद - 
 सीमा विवाद - भारत के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में चीनी सैनिको की घुसपैठ .
समाधान
                  दोनों देश इस पर सहमत है , कि 1993 के करार का पालन होगा . जिसमे तय हुआ था , कि बातचीत के जरिये सीमा विवाद को हल किया जायेगा .
हकीकत -  
                लगभग ४००० कि० मी ० लम्भी भारत-चीन सीमा के हल के लिए पिछले ५ वर्षो में राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार स्तर १५ दौर को बातचीत हो चुकी है . चीन " अक्साई चिन "  देने को तैयार नही है . और अरुणांचल प्रदेश पर भी अपना दावा करता है . 
२ विवाद - 
             ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन में तीन नए बांध बन्ने से भारत में सिंचाई प्रभावित होगी .
समाधान - 
               दोनों देश जल विवाद पर आपसी सहयोग बढ़ाएंगे .
हकीकत -  ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन नये बांध बना रहा है , इसके अलावा ५१० मेगावाट का प्रोजेक्ट भी लगा रहा है . चीन का दावा है , कि उसके प्रोजेक्ट बहते पानी पर है . वे पानी नही रोक रहे है . ऐसे में चीन पर भरोसा करना मुश्किल है . 
३- विवाद - 
             भारतियों  को चीन में निवेश के कम अवसर है , व्यापर असंतुलन बढ़ रहा है .
समाधान - 
            दोनों देश ग्रुप्स जॉइंट इकोनोमिक ग्रुप के मातहत काम करेंगे और आपसी व्यापर बढ़ने के तरीके बताएँगे .
हकीकत- 
         2012  में दोनों देशों के बीच ६६ अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ , लेकिन भारत का व्यापार घाटा २९ अरब डॉलर का रहा . यानि चीन कि तुलना में भारत से कम निर्यात हुआ . इसे बढ़ाबे हेतु कोई कदम नही उठाया गया , 


गुरुवार, 30 मई 2013

भारत में मंदिर निर्माण शैली और प्रमुख मंदिर

नाचना कुठार (मध्य प्रदेश )का गुप्तकालीन पार्वती मंदिर, जो मंदिर निर्माण की प्रारंभिक अवस्था के दर्शाता है . 
मंदिर हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है . हिन्दू धर्म में मंदिर देवी-देवताओं के निवास स्थान मने जाते है . और हिन्दू इन मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते है . भारत में मंदिर निर्माण के साक्ष्य चौथी सदी ईस्वी से मिलना प्रारंभ होते है . इस समय भारत में गुप्त शासको का पुरे भारत पर शासन था . उन्ही के द्वारा मंदिर निर्माण को संरक्षण दिया गया . गुप्तकाल से ही मंदिरों का प्रभुत्व बढ़ा और बाद में अन्य शासको ने भी कई मंदिरों का निर्माण कराया . अलग-अलग कालखंड एवं क्षेत्र में बिभिन्न शासको के द्वारा निर्माण कराये जाने के कारण इनकी निर्माण शैली और संरचना में भी परिवर्तन आये .

 प्राचीन भारतीय इतिहास के आधार पर भारत में मंदिर निर्माण शैलियों को तीन प्रमुख शैलियों में बांटा  गया .
१- नागर शैली के मंदिर - इस शैली के मंदिर मुख्यतः मध्य भारत में पाए जाते है जैसे -
नागर शैली में खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर
लिंगराज मंदिर - भुवनेश्वर (ओड़िसा )
जगन्नाथ मंदिर - पुरी (ओड़िसा )
कोणार्क का सूर्य मंदिर - कोणार्क  (ओड़िसा )
मुक्तेश्वर मंदिर -  (ओड़िसा )
खजुराहो के मंदिर - मध्य प्रदेश 
दिलवाडा के मंदिर - आबू पर्वत (राजस्थान )
सोमनाथ मंदिर - सोमनाथ (गुजरात )
अपने भव्य गोपुरम के साथ द्रविड़ शैली के मंदिर



२- द्रविड़ शैली के मंदिर - दक्षिण भारत में पाए जाने वाले इन मंदिरों का शिखर पिरामिड के आकर का होता है , मंदिरों से ज्यादा भव्य इनका गोपुरम (मुख्य द्वार ) होता है . मुख्य मंदिर है -
मामाल्ल्पुरम का रथ मंदिर - तमिलनाडु 
कैलास मंदिर - कांची 
बैकुंठ मंदिर - पेरूमल 
कैलास मंदिर - महाराष्ट्र 



बेशर शाली में नासिक का त्रियाम्बकेश्वर मंदिर

महाबलीपुरम मंदिर - तमिलनाडु 
तंजाबुर का ब्रह्दिश्वर  मंदिर - तमिलनाडु 
मीनाक्षी मंदिर - तमिलनाडु 
तिरुपति मंदिर - तमिलनाडु 
३- बेशर शैली के मंदिर - 
अमरनाथ का मंदिर - महाराष्ट्र 
खानदेश का मंदिर - बुरहानपुर 
स्वामी रामकृष्ण परमहंस की उपासना स्थली : दक्षिणेश्वर काली मंदिर , कोलकाता
नासिक के मंदिर - महाराष्ट्र 
तंत्र-मंत्र आदि के लिए चर्चित कामख्या देवी मंदिर , गुवाहाटी (असम )

पर्वतीय शैली में बना हुआ बद्रीनाथ मंदिर , उत्तराखंड

कोणार्क का विश्व प्रसिद्द सूर्य मंदिर

नई दिल्ली स्थित अक्षर धाम मंदिर : यह विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है .
द्रविड़ शैली में बना हुआ एकमात्र उत्तर भारत का मंदिर : तेली का मंदिर , ग्वालियर
यूरोपीय शैली में बना पन्ना का बलदेव मंदिर












मध्य प्रदेश के युवा बेरोजगारों के लिए शानदार योजना " मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना "

आज जहाँ बेरोजगार युवा नौकरियों (सरकारी और प्राइवेट ) के पीछे भाग रहे है , और नौकरियों में भी गलाकाट प्रतियोगिता है . उस हिसाब से स्वरोजगार अपनाना अधिक श्रेयस्कर है . जहाँ नौकरियों में आप किसी न किसी के अधीन होते है , वही स्वरोजगार में आप मालिक होते है .
माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा युवा पंचायत में की गयी घोषणा के परिप्रेक्ष्य में युवाओं को स्वरोजगार हेतु बैंक से सुगमतापूर्वक ऋण प्राप्त हो सके , इस उद्देश्य से युवा स्वरोजगार योजना दिनांक १ जनवरी २०१३ से आरम्भ की गयी है .
योजना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए स्वयं का उद्योग /सेवा /व्यवसाय स्थापित करने हेतु बैंको के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराना है. योजनान्तर्गत हितग्राहियों को मार्जिन मनी सहायता तथा व्याज अनुदान की सुविधा दी जाएगी .
उद्योग एवं सेवा उद्दमो के लिए ' क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज ' (सीजीटी-एमएसई )
योजनान्तर्गत डे गारंटी शुल्क की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जायेगा .
योजना में आय सीमा का कोई बंधन नही होगा .
योजना का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्य प्रदेश होगा .
संपर्क - योजना का लाभ लेने या जानकारी लेने के लिए जिला वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के साथ जनपद पंचायतो से संपर्क किया जा सकता है .
पात्रता -
 १. मध्य प्रदेश का मूल निवासी हो .
२. दसवी कक्षा उत्तीर्ण हो .
३. आवेदन दिनांक को आयु १० से ३५ वर्ष के मध्य हो .
४. अनु० जाति/ अनु० जनजाति /अ० पि०वर्ग / महिला / निशक्तजन उद्दमी को आयु सीमा में ५ वर्ष की छुट
५. आवेदक किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक / वित्तीय संस्था /सहकारी बैंक का चूककर्ता / डिफाल्टर न हो .
६. यदि आवेदक पूर्व से ऐसी ही किसी अन्य योजना का लाभ न ले रहा हो .
७. योजनान्तर्गत सहायता हेतु सिर्फ एक व्यक्ति के लिए एक उद्योग/सेवा/व्यवसाय हेतु ही पात्रता होगी .
प्राथमिकता -   
१- आई टी आई /डिप्लोमा/ इंजीनियरिंग/ अन्य अधिकृत संस्थाओं द्वारा प्रदत्त मोड्यूलर एम्प्लाय्बल स्किल्स प्रमाण पत्र .
२- गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले  परवारों की सर्वे सूची में अंकित हितग्राही .
३- अनु०जति / अनु० जनजाति / महिला/ निशक्तजन
४ उद्मिता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षित हितग्राही
वित्तीय सहायता - 
५० हजार से २५ लाख रूपये तक की 
(शर्ते
लागू )
मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित है:
• राज्य सरकार 25 लाख रूपये तक का उद्योग या व्यवसाय स्थापित करने के लिए बैंक गारन्टी और 5 वर्ष तक 5 प्रतिशत की ऋण सबसिडी देगी.
• ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और शहरी क्षेत्रों में उद्योग और वाणिज्य विभाग द्वारा योजना लागू की जायेगी.
• योजना के तहत बैंकों को एक महीने के भीतर ऋण के मामले निपटाने होंगे.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 50 हजार रूपए से लेकर 25 लाख रूपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा.
• योजनांतर्गत हितग्राहियों को मार्जिन मनी सहायता तथा ब्याज अनुदान की सुविधा देने का प्रावधान.
• उद्योग एवं सेवा उद्यमों के लिये सीजीटी-एमएसई (क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माईक्रो एण्ड स्माल  एंटरप्राइजेस) योजनांतर्गत देय गारंटी शुल्क की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जायेगा.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत आय सीमा का कोई बंधन नहीं है.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश है.
• इस योजना के क्रियान्वयन हेतु वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग नोडल विभाग होगा.
• ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्रों में वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जाना है.
• इस योजना के तहत आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो एवं दसवीं उत्तीर्ण हो.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष के मध्य हो.
• अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला, निःशक्तजन उद्यमी हेतु अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट.
• ऋण गारंटी निधि योजना अंतर्गत गारंटी शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा केवल उद्योग एवं सेवा क्षेत्र के लिये देय, व्यवसाय क्षेत्र के लिये नहीं.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आवेदक किसी भी बैंक, वित्तीय संस्था का चूककर्ता, अशोधी नहीं होना चाहिये.
• यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी अन्य सरकारी योजना के अंतर्गत पूर्व से सहायता प्राप्त कर रहा है, तो वह मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत पात्र नहीं.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आईटीआई, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग, अन्य अधिकृत संस्थाओं द्वारा प्रदत्त माड्यूलर एम्पलायबल स्किल्स प्रमाण-पत्र, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की सर्वे सूची में अंकित हितग्राही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं निःशक्तजन एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षित हितग्राही को प्राथमिकता.