मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

जागो , उठो ! बढ़ते रहो ..
















जागो
, उठो ! बढ़ते रहो
नित नए , कीर्तिमान गढ़ते रहो
रुको नही, झुको नही, बढ़ते रहो
मिले न 'लक्ष्य' , तब तक श्रम करते रहो
पथिक! पथ को नया करते रहो
जीवन है चलना , बस चलते रहो
जागो , उठो बढ़ते रहो
नित नए , कीर्तिमान गढ़ते रहो
पथ सफलतम हो, ऐसा तुम यत्न करो
लक्ष्य हो प्राप्त , इतना तुम प्रयत्न करो
आनंद से विवेक को तुम इतना भरो
जीवन हो आनंदमय, ऐसी तुम रचना करो
नित नयी ऊचाईयों पर तुम चढ़ते रहो
जागो, उठो! बढ़ते रहो ।

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