मंगलवार, 30 अगस्त 2011

मध्यप्रदेश ने हासिल की 9 प्रतिशत आर्थिक विकास दर

मध्यप्रदेश ने हासिल की 9 प्रतिशत आर्थिक विकास दर

पाले से हुए नुकसान के बावजूद बड़ी उपलब्धि, बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने को तैयार मध्यप्रदेश
भोपाल 28 अगस्त 2011। बीते छह-सात वर्षों में विकास के लिये कटिबद्ध प्रयासों के फलस्वरूप मध्यप्रदेश अब एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आने लगा है। अमेरिकी फर्म डन ब्रेडस्ट्रीट की रिपोर्ट ??भारत 2020?? के अनुसार भारत की प्रगति में मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान होगा। वर्ष 2007 में इंदौर में सम्पन्न ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में भी देश के अग्रणी उद्योगपति श्री अनिल अंबानी ने कहा था कि अपनी प्रचुर प्राकृतिक संपदा, देश के मध्य में स्थित होने तथा सरकार द्वारा किये जा रहे ठोस प्रयासों के चलते मध्यप्रदेश को देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार रहना चाहिये।
इन दोनों बातों की पुष्टि इस बात से होती है कि बीते छह-सात वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास दर में लगातार वृद्धि हासिल की है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश की विकास दर (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) महज तीन प्रतिशत थी। भारत शासन द्वारा निर्धारित पद्धति से, निर्धारित विधि से किये गये प्राकलन के अनुसार वर्ष 2010-11 में इसकी आर्थिक विकास दर 9 प्रतिशत आँकी गयी है। यह उपलब्धि इस अर्थ में और महत्वपूर्ण हो जाती है कि वर्ष 2010-11 में प्रदेश में 26 प्रतिशत कम वर्षा हुई और जनवरी में पाला पड़ने से अरहर, चना और अलसी की फसलों को भारी नुकसान हुआ। इसके पहले, वर्ष 2009-10 में मध्यप्रदेश में 35 प्रतिशत कम वर्षा होने के बावजूद आर्थिक विकास दर 9.55 प्रतिशत हासिल की गयी थी।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष चने की फसल के क्षेत्रफल में 3.3 प्रतिशत वृद्धि होने पर भी उत्पादन में 16.6 प्रतिशत की कमी आयी। अरहर के क्षेत्रफल में 48.3 प्रतिशत वृद्धि के बाद भी उत्पादन में 36.1 प्रतिशत कमी आयी। इसी तरह, अलसी का क्षेत्रफल 16.4 प्रतिशत बढ़ा, फिर भी उत्पादन में 13.2 प्रतिशत कमी आयी। यह पाले का दुष्परिणाम रहा।
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2009-10 में कृषि विकास दर 7.2 प्रतिशत रही। जबकि राष्ट्रीय कृषि विकास दर नाम मात्र की रही। इस दौरान प्रदेश में औद्योगिक विकास दर 10.1 प्रतिशत रही। अन्य ऊँची विकास दर वृद्धि वाले बड़े प्रदेशों की तुलना में वर्ष 2009-10 में आर्थिक विकास दर के मामले में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर तथा 2010-11 में बिहार और छत्तीसगढ़ के बाद प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा।
गरीबी के आकलन के लिये अखिल भारतीय स्तर पर किये गये सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का प्रति व्यक्ति उपभोग ग्रामीण क्षेत्र में पाँच बड़े राज्यों से अधिक है। इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड शामिल हैं। शहरी क्षेत्र में मध्यप्रदेश का प्रति व्यक्ति उपभोग 6 राज्यों से अधिक है, जिनमें उक्त 5 राज्यों के अलावा राजस्थान शामिल है।

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