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सोमवार, 22 अगस्त 2011
भारत में आंदोलनों का इतिहास
भारत में आंदोलनों का लम्बा इतिहास रहा है । वैसे तो अंग्रेजो के खिलाफ पहला आन्दोलन बंगाल में सन्यासी विद्रोह था। जिस पर वन्दे मातरम के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास "आनंदमठ "(इसी उपन्यास में वन्दे मातरम लिखा गया था )लिखा गया था।
इसके के बाद अंग्रेजो के खिलाफ अगला सशक्त आन्दोलन १९०५ में बंग - भंग आन्दोलन था । लोर्ड कर्जन के बंगाल विभाजन के निर्णय के खिलाफ पूरा बंगाल (जिसमे आज का बांग्लादेश भी शामिल था ) एक हो गया। कृष्ण कुमार मित्र के आह्वान पर बंगाल में विदेशी वस्तुओ का वहिष्कार करके स्वदेशी आन्दोलन की नींव पड़ी (इसी स्वदेशी आन्दोलन से प्रेरित होकर बाद में गाँधी जी ने इसका प्रयोग १९२० में असहयोग आन्दोलान्मे किया था ।) बंग भंग आन्दोलन के दौरान ही रवींद्र नाथ टेगौर ने हिन्दू - मुसलमानों को प्रेरित कर " रक्षाबंधन " मनाया । इसी आन्दोलन के दौरान रवींद्र नाथ टेगौर ने अपना प्रसिद्द गीत "आमार सोनार बांगला " लिखा । (बाद यही गीत बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना, टेगौर विश्वा के एकमात्र व्यक्ति है , जिन्होंने दो देशो का राष्ट्रगान लिखा है । ) इन आंदोलनों के फलस्वरूप ही १९११ के दिल्ली दरवार में बंगाल विभाजन को रद्द किया गया।
देश में सबसे चर्चित आन्दोलन महात्मा गाँधी के रहे है । महात्मा गाँधी जी ने दुनिया को भूख हड़ताल (आमरण अनशन ) और सत्याग्रह जैसे सशक्त हथियार दिए । १९१७ में गांधी जी ने देश में पहला सत्याग्रह "चंपारण सत्याग्रह " के रूप में किया । जिसमे चंपारण , बिहार के किसानो को निलहे (नील की खेती जबरन कराने वाले अंग्रेज ) से मुक्ति दिलाई । इसके बाद गाँधी जी ने अहमदाबाद मिल मजदूर आन्दोलन में विश्व की पहली भूख हड़ताल की ,और अपने ही मित्रो के खिलाफ जाकर मजदूरो को उनका हक दिलाया।
गाँधी जी का राष्ट्रिय स्तर का पहला आन्दोलन १९२१ में "असहयोग आन्दोलन " था । इस आन्दोलन में देश के हर वर्ग के लोगो ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया , जब आन्दोलन अपने चरम सीमा पर था , तभी गोरखपुर के चौरी- चौरा में लोगो ने पुलिस थाने में आग लगा कर २२ पुलिस वालो को जला दिया , इस अहिंसक आन्दोलन में इस घटना के होने से दुखी होकर गाँधी जी ने अपना यह आन्दोलन वापस ले लिया ।
१९३० ई० में गांधी जी ने १२ मार्च को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से तटीय गाँव दांडी तक ६ अप्रैल को पैदल यात्रा पूरी कर के घोर आमानवीय कानून को वुने सहित तोडा , इसी के साथ पुरे देश में जगह जगह इस तरह के कानून तोड़े जाने लगे , सविनय आन्दोलन की शुरुआत हो गयी , जिसकी परिणति गाँधी - इरविन समझौते से हुई ।
गाँधी जी का एक और आन्दोलन "भारत छोडो आन्दोलन " माना जाता है , ८ अगस्त १९४२ को बम्बई के ग्वलिया टेंक मैदान से "करो या मरो " का नारा देकर आन्दोलन की शुरुआत की गयी , मगर दुसरे ही दिन अंग्रेजो ने कोंग्रेस के सभी बड़े नेताओ को गिरफ्तार कर लिया । जिससे आन्दोलन नेत्रत्व विहीन हो गया । जनता हिंसक हो गयी । उसी समय अंग्रेज द्वितीय विश्व युद्ध में फंसे थे । दूसरी और सुभास चन्द्र बोस जापान की सहायता से आज़ाद हिंद फौज द्वारा अंग्रेजो की नाक में दम किये थे । मजबूरन १९४६ में अंग्रेजो को भारत में केबिनेट मिशन को भेजना पड़ा , जिसकी सिफारिश पर ही १९४६ में संविधान सभा का निर्माण हुआ ।
आज़ादी के बाद भी देश में कई आन्दोलन हुए । जैसे - १९५३ में तेलगू भाषी राज्य के लिए आंदोलन
विनोवा भावे का "भूदान आन्दोलन " , १९७५ में इंदिरा गाँधी की तानाशाही के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण का आन्दोलन , जिसके बाद पुरे देश में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी । स्वयं इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी थी ।
अब देश में अन्ना हजारे (किशन बाबुराव हजारे ) के अनशन के साथ पुरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और जन लोकपाल के समर्थन में चल रहा आन्दोलन .................भी एक नया इतिहास बनने जा रहा है ।
# अन्ना हजारे (समाज सेवा हेतु ), अरविन्द केजरीवाल (सुचना के अधिकार कानून की जागरूकता फ़ैलाने हेतु )और किरण वेदी ( स्वच्छ प्रसाशन हेतु ) एशिया का नोबल खा जाने वाला " रेमन मैग्सेसे अवार्ड " मिले है ।
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सही है सर जी । अच्छा काम आप अच्छा काम कर रहे हो
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