रविवार, 14 अगस्त 2011

हर विषय के लिए अलग रणनीति ....




नमस्कार दोस्तों ,
अक्सर लोग सामान्य अध्ययन की तैयारी कैसे करे ? इस बात को लेकर परेशां रहते है , मगर समस्या यह होती है , कि लोग सामान्य अध्ययन के सभी विषयों जैसे - इतिहास , भूगोल , राज व्यवस्था , अर्थशास्त्र और विज्ञानं आदि सभी विषयों कि तैयारी एक जैसे तरीके से करते है , जो कि गलत तरीका है । अगर हम सारे विषय एक जैसे तरीके से पढ़े तो कई तरह कि परेशानियाँ होने लगेगी । आइये जानते है , किस विषय को किस तरह से पढ़ा जाये :-
इतिहास :- इतिहास एक तरह से विभिन्न घटनाओ कि एक कहानी होती है , जो अगर क्रम से पढ़ा जाये तो अच्छे से समझ में आएगा .होता क्या है , कि लोग इतिहास पढना गलत तरीके से शुरू करते है । अधिकांश परीक्षाओ में इतिहास के ज्यादातर प्रश्न आधुनिक इतिहास से ही आते है , इसीलिए लोग सीधे आधुनिक इतिहास को पढना शुरू करते है । मगर इतिहास कि सभी घटनाएं एक दुसरे से जुडी होती है , अतः आधुनिक इतिहास कि कुछ घटनाओ का सम्बन्ध मध्यकालीन या प्राचीन इतिहास से जुडी होती है । अतः इतिहास हमेशा प्राचीन काल से ही पढना शुरू करना चाहिए और हमेशा एक क्रम से ही पढना चाहिए .ताकि एक दुसरे से जुडी घटनाओ कि क्रमबद्धता और निरंतरता बनी रहे । अगर इतिहास को हम एक बार कहानी कि तरह पढ़ ले साथ ही महत्वपूर्ण विन्दुओ को चिन्हित करते जाये , एक टोपिक ख़त्म होने के बाद सभी महत्वपूर्ण विन्दुओ को एक साथ लिख ले और उन्हें एक दुसरे से जोड़ते हुए याद कर ले तो इतिहास हमारे लिए एक सरल कहानी बन जायेगा ।
भूगोल :-
भूगोल भी सामान्य अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय है । इसे रटने के बजे समझ के पढना चाहिए , और भूगोल को समझने में मानचित्रो कि बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अतः भूगोल मानचित्रो कि सहायता से एक खेल बन जायेगा । जितना अधिक आप मानचित्रो का अध्ययन करेंगे भूगोल उतना ही आपको रुचिपूर्ण और मजे दार लगेगा।
विज्ञानं :- विज्ञानं कोई रटने वाला विषय नही है । अक्सर कला संकाय के छात्रो को विज्ञानं को पढने समझने में परेशानी होती है । इसका कारन है कि वे कला के विषयों कि तरह विज्ञानं को भी रटना चाहते है। मगर विज्ञान एक अवधारणात्मक विषय है । इसे बिना समझे नही आगे बाधा जा सकता है । अगर आपने एक बार अपनी अवधारणा स्पष्ट कर ली तो आपको रटने कि जरुरत ही नही है। विज्ञान को भी हम चित्रों के माध्यम से अच्छी तरह से समझ सकते है । जैसे - जीव विज्ञान तो पूरी तरह से चित्रों पर ही आधारित है । हाँ कुछ तथ्य विज्ञान में भी रटने पद सकते है , जैसे आविष्कार-अविष्कारक ,विज्ञान कि विभिन्न शाखाये , तकनिकी शब्द आदि विज्ञान के तकनिकी शब्दों के अगर हम हिंदी नामों कि जगह अंग्रेजी नाम याद करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा । क्योंकि हिंदी में नाम अलग अलग पुस्तकों में अलग मिलता है , जबकि अंग्रजी के नाम हर जगह एक से मिलेंगे। जैसे - जांघ की हड्डी को हिंदी कहीं जन्घस्थी तो कहीं गंदाकस्थी कहते है , मगर अंग्रेजी में हर जगह उसे फीमर ही कहते है । हिंदी में वैज्ञानिक शब्दावली अंग्रेजी की तुलना में बड़ी कठिन होती है । प्रतियोगी परीक्षाओ में विज्ञान में अकसर दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्नों पर ज्यादा जोर दिया जाता है , अतः विज्ञान के सिद्धांतो और नियमो के प्रयोगों पर ज्यादा धयान दिया जाना चाहिए ।
राजव्यवस्था या संविधान :- राजव्यवस्था की भाषा शैली थोड़ी सी कानूनी और कठिन होती है ,लेकिन हमें वही भाषा शैली याद करनी होगी । जैसे संविधान के अनुच्छेदों को ज्यो का त्यों याद करना होगा । इन अनुच्छेदों को हमें रटना ही होगा । हाँ , यहाँ हम थोड़े से चयनात्मक हो सकते है , मतलब हम उन्ही अनुच्छेदों को याद करे जो अक्सर परीक्षाओ में आते रहते है , जैसे मौलिक अधिकार (१४,१६, १७,१९, २१ ), नीति निदेशक तत्व(४०,४४,४५,४८ ५१ ) , राष्ट्रपति(५२-६१ ), प्रधान मंत्री (74) , नयायपालिका (३२,१२४, २१४, ३२६ )आदि से सम्बंधित अनुच्छेद । कुछ तथ्यों को हम समझ कर याद कर सकते है , जैसे - विधायिका, न्यायपालिका , कार्यपालिका , संसदीय प्रक्रियाये आदि
समसामयिकी :- अक्सर परीक्षाओ में पिछले एक वर्ष के दौरान घटी घटनाये , महत्वपूर्ण निधन, व्यक्तिव , पुरस्कार, आयोजन आदि से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है । और लोग पत्रिकाओ के वार्षिकांक के रटते मारने शुरू कर देते है , जो गलत तरीका है । इसका सबसे आसान तरीका है । आप रोज नियमित तौर से आकाशवाणी या दूरदर्शन के समाचार (कृपया प्राईवेट न्यूज चैनल न सुने वो आपकी परीक्षाओ के हिसाब से घातक है । ) , प्रतिदिन एक राष्ट्रिय स्तर का अखबार पढ़े और प्रति माह एक मासिक पत्रिका पढ़े । इस तरह से आप महत्वपूर्ण खबरों को कम से कम तीन बार पढेंगे -सुनेंगे ,और आपको वो समसामयिक घटनाये अलग से रटने की जरुरत ही नही रहेगी । हाँ इन तीन काम को करते समय इनके नोट्स भी बनाते चले ।

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